लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

८- श्रेया का रूटीन चेकअप और खरीदा

उसने श्रेया को तैयार रहने के लिए कहा- आज ऑफिस से आते ही वह श्रेया को लेकर डॉक्टर के यहां गया। डॉक्टर के यहां श्रवन को पहुंचने में देर हो गई थी। डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में चले गए इसलिए श्रेया और श्रवन को इंतजार करना पड़ा। काफी देर बाद जब डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर से बाहर आए तब आकर उन्होंने से आकर चेकअप किया। श्रेया का यह रूटीन चेकअप था, सब कुछ ठीक चल रहा था अभी कोई प्रॉब्लम नहीं थी। सब कुछ ठीक सुनकर वह दोनों बहुत खुश हुए और खुशी-खुशी घर वापस आ गए। घर आने के बाद का श्रेया अपनी ननद रक्षा के जागने का इंतजार करने लगी। कि रक्षा कब जागे और वह दोनों ननद भाभी आपस में गपशप करें। श्रेया और श्रवन की शादी के बाद रक्षा उसे पहली बार मिल रही थी।शादी में थोड़ी देर के लिए मिली थी,इसलिए उसे बड़ी व्याकुलता थी अपनी छोटी बहन जैसी छोटी ननद से बात करने की।

रक्षा जब सो कर उठी तो शाम हो चुकी थी। शाम की चाय श्रेया ने बनाई और सभी को चाय देने के बाद ननद भाभी दोनों साथ में बैठकर चाय पीते पीते बातें कर रही थी। अभी मां भी चाय पी कर आई और उन दोनों के साथ बैठकर बातें करने लगी। श्रेया ने अपने सुखद अनुभव अपनी ननद के साथ बांटें। रक्षा तो अभी कुंवारी थी, तो उसे श्रेया की बहुत  सारी चीजें समझ में नहीं आई। लेकिन फिर भी श्रेया की खुशी के लिए वह सुनती रही। अब शाम हो चली थी, खाने की तैयारी शुरू हुई। खाना सासू मां ने बनाया और खाना बनने के पश्चात सभी ने खाना खाया।  कुछ देर गपशप करने के बाद सभी अपने अपने कमरे में सोने चले गए।

परंतु श्रेया और उसकी ननद रक्षा वहीं बैठे बातें कर रहे थे।श्रवन भी कमरे में जाकर  लेट गया।और उसकी भी आंख लग गई, रात काफी भी चुकी थी।उसे पता ही नहीं चला उधर श्रेया और रक्षा गपशप में लगी हुई थी। काफी रात बीत चुकी थी, श्रवन की आंख खुली।  उसके श्रेया को बिस्तर पर नहीं पाया, तो वह परेशान हो उठा। और एक झटके में उठकर कमरे के बाहर आया।  उसे रक्षा के कमरे के बाहर कुछ आवाजें सुनाई दी। श्रवन रक्षा के कमरे में गया तो देखा .....श्रेया और रक्षा दोनों अभी भी गपशप में लगी हुई है। थोड़ा डांट कर श्रवण ने रक्षा को सोने के लिए कहा। और श्रेया को डांट कर कमरे में आने के लिए और सोने के लिए कहा। नन्द भाभी  दोनों ने एक दूसरे को शुभरात्रि.... बोला और सुबह मिलने का वादा करके दोनों उठी, और श्रेया अपने  कमरे में चली आई, और रक्षा लेट कर सो गई। कमरे में आकर श्रवण ने श्रेया को समझाया क्योंकि अभी इतनी रात तक जागना ठीक नहीं है। उसके इतना जगने से बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है । श्रेया ने श्रवन को सॉरी.... कह कर माफी मांग ली। श्रवन  ने उसे माफ कर दिया, और दोनों ही सोने के लिए बिस्तर पर लेट गए। आज कुछ ही देर में निद्रा देवी की गोद में समा गये।

सूरज की किरण सुबह की भोर लेकर आई, तो घर के सभी लोग सो कर उठ चुके थे। परंतु बहुत देर तक श्रेया और श्रवन के कमरे से कोई आवाज ना आने पर सभी घबरा गए। सभी की मन में डर था, कि पता नहीं क्या हुआ है। वह दोनों अभी तक क्यों नहीं उठे, सभी श्रवन के कमरे की तरफ दौड़े। जाकर दरवाजा खटखटाया......दरवाजे पर दस्तक सुनकर श्रेया की आंख खुली.... तो उसने श्रवन को उठाया। श्रवन ने आंख खुलते ही घड़ी देखी..... और झट से उठकर दरवाजा खोला। दरवाजे पर पूरा परिवार खड़ा हुआ था।श्रवन को समझते देर न लगी, क्योंकि आज उठने में देर हो गई थी। और सभी लोग उनके न जगने से चिंता ग्रस्त हो गए थे। उन दोनों को सकुशल देखकर सभी के मन की चिंता दूर हुई। श्रवन ने सभी से माफी.... मांगी। श्रवन कमरे से बाहर आ गया। थोड़ी ही देर में श्रेया श्रवन के पीछे पीछे कमरे के बाहर आ गई, और रसोई घर में पहुंची।

वहां उसने अपने और श्रवन के लिए चाय बनाई। परिवार के सभी लोग सुबह की चाय पी चुके थे। यह दोनों देर से सोकर उठने के कारण चाय से वंचित रह गए थे। दोनों ने चाय पीकर कप रखा और बाथरूम की तरफ चल पड़े। क्योंकि सुबह के नाश्ते का समय हो चुका था। और डाइनिंग टेबल पर सभी श्रेया और श्रवन का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि नाश्ता सभी लोग साथ बैठकर ही करते थे। नाश्ता भी टेबल पर तैयार था। बस इंतजार था, तो श्रेया और श्रवन का। उनके आते ही सभी लोग नाश्ता करेंगे, और दिनभर की दिनचर्या की योजना भी बनाएंगे। रक्षा बोल पड़ी... मैं तो आज खरीदारी करने मार्केट जाऊंगी। मैं छोटे बेबी के लिए कुछ सामान खरीद कर लाऊंगी, जो मेरे पसंद का होगा। आखिर तो मैं बुआ बनने वाली हूं। इतना सुनते ही रक्षा की मां ने कहा- हां!हां! बुआ जी !जो मन हो वह ले आओ। नाश्ते के बाद रक्षा बाजार जाने के लिए तैयार हुई,और उसने मां से भी तैयार होने को कहा- क्योंकि भाभी को तो वह ले जा नहीं सकती थी। श्रेया ने मां ने कहा- मां जी आप दीदी के साथ बाजार चली जाइए। तब सासु मां ने श्रेया से कहा- मैं चली जाऊंगी, तो घर में कौन काम करेगा।तब श्रेया ने कहा मां जी आप जाइए मैं देख लूंगी घर पर । परंतु सासू मां श्रेया को अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहती थी। उन्हें उसकी बहुत फिक्र थी, क्योंकि बड़ी मुसीबतों के बाद इतना समय कट पाया है। वह किसी अनहोनी के डर से डरी रहती थी, वह चाहती थी। कि श्रेया का बच्चा स्वास्थ्य तंदुरुस्त इस दुनिया में आए और श्रेया भी ठीक रहे।

पर श्रेया और रक्षा के जिद करने पर मां बाजार जाने को तैयार हो गई। मां ने जल्दी से  साड़ी बदल ली, और रक्षा के साथ बाजार चली गई। जाते-जाते श्रेया को हिदायतें देकर गई कि खाना बनाकर आराम करने चली जाएगी। और धीरे आराम कर करके खाना बनाएगी। 

श्रेया ने मां की बात सुनकर हां में सिर हिला दिया और मां बाजार चली गई। मां के जाने के बाद श्रेया रसोई घर में गई, और उसने खाना बनाना शुरू किया। श्रवन से नहीं रहा गया, वह भी श्रेया के साथ रसोई घर में मदद करने पहुंच गया। दोनों ने मिलकर रसोई घर का सारा काम निपटा लिया। मां और रक्षा के बाजार से लौट कर आने तक खाना डाइनिंग टेबल पर लगाया जा चुका था। वह लोग जब वापस आए, तो उनके हाथों में ढेर सारे सामान के थैले थे। रक्षा ने बहुत सारी खरीदारी की थी। परंतु उनको एक किनारे रख कर हाथ मुंह धुल सभी को खाना खाने का आदेश सुनाया गया।रक्षा और मां दोनों हाथ मुंह धोकर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए। आज खाना श्रवन ने सर्व किया था। सभी ने खाना खाया और श्रेया के बनाए हुए खाने की सभी ने बहुत तारीफ की ।

खाना खाने के बाद सभी को रक्षा के लाए हुए सामान को देखने की उत्सुकता थी। सभी ने रक्षा के द्वारा खरीदारी किए हुए सम्मान को दिखाने की जिद की। तब रक्षा ने सभी को एक एक समान खोल कर दिखाया जो उसने अपने घर में आने वाले नन्हे मेहमान के लिए खरीदा था। 


   21
14 Comments

Gunjan Kamal

26-Sep-2022 05:34 PM

शानदार

Reply

नंदिता राय

08-Sep-2022 08:42 PM

शानदार भाग

Reply

Seema Priyadarshini sahay

08-Sep-2022 06:16 PM

बेहतरीन रचना

Reply